Mar ०१, २०२० १५:०६ Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर ईरान का सफ़रः नैनो टेक्नालोजी में ईरान की लंबी छलांग, एफ़एसजी प्लाज़्मा से वनस्पतियों के उत्पादन में क्रांति

2016 दिसंबर को नैनो टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में निरंतर प्रयास से संबंधित आंकड़ा मुख्य इंडेक्स के आधार पर प्रकाशित हुआ जिसमें क्षेत्र सहित दुनिया के देशों की दर्जाबंदी की गई है।

इस आंकड़े में टॉमसन रोयटर्ज़ में प्रकाशित लेख की तादाद है जिसके मुताबिक़ 2015 में नैनो टेक्नॉलोजी में ईरान के रिसर्च पेपर्ज़ की तादाद 6697 है जो नवंबर 2016 में 7045 तक पहुंची।

विज्ञान व नैनो टेक्नॉलोजी से संबंधित आंकड़े

 

इस्लामी जगत के विज्ञान की सिटेशन डेटाबेस के संस्थापक जाफ़र मेहरदाद कहते हैः नैनो टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में ईरान के हर लेख का अवसत हवाला 2011 में 1304, 2012 में 7409, 2013 में 9706 और 2014 में 7104 बार दिया गया है। इसी तरह इस  क्षेत्र में ईरानी लेख को 2011 से 2015 के बीच एच-इंडेक्स क्रमानुसार 58, 50, 43, 39 और 20 है।

विभिन्न वर्षों में नैनो टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में ईरान का स्थानीय योगदान अलग अलग रहा है। मिसाल के तौर पर 2011 में ईरान का योगदान 14.4,(चौदह दश्मलव चार) 2012 में 28.15, (अट्ठाईस दश्मलव एक पांच) और 2013 से 2016 तक क्रमशः 74.17, 36.20, 26.21 और 50.24 रहा है।

पेटेन्ट अधिकार की भी बहुत अहमियत है। न सिर्फ़ नैनो टेक्नॉलोजी बल्कि विज्ञान की सभी शाखाओं में इस अधिकार पर बल दिया जाता है। 2011 और 2012 में योरोप के आविष्कार के पंजीकरण विभाग में नैनो टेक्नॉलोजी में ईरान के पेटेन्ट की तादाद क्रमशः 2 और 1 रही है जबकि 2013 से 2016 के बीच इस विभाग में नैनो टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में ईरान के पेटेन्ट की कोई तादाद दर्ज नहीं हुयी है जबकि अमरीका के आविष्कार पंजीकरण व व्यापार इंडेक्स विभाग में पेटेन्ट की तादाद अलग अलग है। जैसा कि 2011 में 3 अदद, 2012 में 7 अदद, 2013 में 11 अदद, 2014 में 8 अदद, 2015 में 12 अदद सितंबर 2016 तक 9 आविष्कार पेटेन्ट हुए।            

ईरान की आज़ाद इस्लामी यूनिवर्सिटी के विज्ञान व शोध विभाग ने एफ़एसजी प्लाज़मा द्वारा वनस्पतियों के उगने की दर बढ़ाने वाली एक मशीन बनायी है। कोल्ड प्लाज़्मा सिस्टम कृषि सहित विज्ञान व प्रौद्योगिकी की विभिन्न शाखाओं में इस्तेमाल हो सकता है। आज़ाद इस्लामी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक का कहना हैः कोल्ड प्लाज़्मा सिस्टम के कृषि उद्योग में इस्तेमाल से अंकुरण तेज़ी से बढ़ता है, तना और जड़ लंबी होती है जिसके नतीजे में अंतिम उत्पाद की मात्रा बढ़ जाती है।

एफ़एसजी प्लाज़मा द्वारा वनस्पतियों के उगने की दर बढ़ाने वाली मशीन

 

इस्लामी आज़ाद यूनिवर्सिटी में भौतिकशास्त्र की छात्रा शोहरा ख़ातमी ने कहाः इस शैली से प्लाज़्मा की उत्पादन प्रक्रिया के दौरान फ़्री रेडिकल, ग्रोथ हार्मोन को प्रोत्साहित करते हैं और इस दौरान किसी तरह का जेनेटिक बदलाव नहीं होता। इस प्रोत्साहन की वजह से अंकुरण में तेज़ी आती है, वनस्पति का विकास स्तर बढ़ता है  और फिर नतीजे में उत्पाद बढ़ता है। 

आज़ाद इस्लामी यूनिवर्सिटी में मेकाट्रॉनिक्स शाखा के छात्र प एफ़एसजी-प्लाज़मा प्रोजेक्ट पर काम करने वाले आरश अहमदी निया कहते हैः एफ़एसजी प्लाज़्मा मशीन इस तरह काम करती है कि इसके सिस्टम में बीज रखने के बाद, एक मेकाट्रॉनिक भुजा उसे सुव्यवस्थित तरीक़े से प्लाज़्मा सिस्टम में पहुंचाती है। एक मुद्दत के बाद मोडिफ़ाइज बीज को मेकैनिकल सिस्टम से बॉक्स में रखते हैं और फिर उसकी पैकिंग होती है।

प्लाज़्मा के ज़रिए वनस्पतियों का विकास बढ़ाने वाली मशीन कृषि, दवा और सीड मोडिफ़िकेशन इत्यादि से जुड़ी संस्थाओं व संगठनों में उपयोगी है। इस मशीन का एक फ़ायदा यह है कि इससे बाई प्रोडक्ट पैदा नहीं होता जो दूसरी रासायनिक व भौतिक शैली का उचित विकल्प बन सकती है।     

यज़्द के इक़्बाल साइंस ऐन्ड टेक्नॉलोजी पार्क के वैज्ञानिकों ने आंख से वंचित लोगों के लिए ब्रेल मॉनिटर बनाया है जो डिजिटल सूचना को ब्रेल में बदल सकता है। यह इलेक्ट्रिकल मशीन डिजिटल मशीन को ब्रेल लाइन में बदल देती है। चूंकि आंख से वंचित लोगों की डिजिटल सूचना तक पहुंच कम होती है, इसलिए ब्रेल लाइन टच स्क्रीन मशीन पेश की गयी है ताकि आंख से वंचित लोगों की डिजिटल डेटा तक पहुंच हो सके।

आंख से वंचित लोगों के लिए ब्रेल स्क्रीन

 

इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले मुस्लिम आज़म फ़र, इस तरह के दुनिया में मौजूद नमूने का ज़िक्र करते हुए कहते हैः चूंकि दुनिया में मौजूद ब्रेल डिस्पले पढ़ने की शैली एक एक लाइन की है जबकि ईरानी वैज्ञानिको ने जो डिस्पले बनाया है उस पर ब्रेल लाइन निरंतर बनती रहती है। इसके अलावा ईरान में ब्रेल डिस्पले की क़ीमत विदेशी ब्रेल की क़ीमत का एक बटा दस है।

मशहद यूनिवर्सिटी के आख से संबंधित समस्या रिफ़्रैक्टिव एरर्ज़ शोध केन्द्र के वैज्ञानिकों ने बदलते हुए फ़ोकस लेन्स के साथ आंख टेस्ट वाली ऐनक बनायी है। आंख के सही नंबर के निर्धारण के लिए इस उपकरण में सिर्फ़ तीन लेन्स हैं।

बदलते हुए फ़ोकस लेन्स के साथ आंख टेस्ट करने वाली ऐनक

इस उपकरण में अलग तरह से तराशे गए दो लेन्स थोड़ी सी हरकत के साथ बाक्स में मौजूद 60 लेन्स का काम करते हैं। इसी तरह अलग तरह से तराशा गया तीसरा लेन्स थोड़ा सा हरकत देने से बाक्स में मौजूद 40 लेन्स का काम करता है। इस तरह इन तीन लेन्स की पोज़ीशन में बदलाव के ज़रिए नज़दीक की नज़र, दूर की नज़र और स्टिग्मटिज़्म से प्रभावित लोगों की आंख का नंबर निकल आएगा। यह उपकरण फ़ोरॉप्टर, रेटिनोस्कोप और ट्रायल फ़्रेम की तरह काम करता है जो चिकित्सकों के लेन्स बाक्स के साथ हमेशा रहता है। इस अंतर के साथ कि यह उपकरण छोटा है और इसमें पहले के सभी उपकरणों की विशेषताएं इकट्ठा की गयी हैं। इसलिए इसे आसानी एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं और इसकी क़ीमत भी कम है।     

ईरानी वैज्ञानिकों ने दिल की स्कैन के लिए एक मशीन बनायी है जो ईरान के दो अस्पतालों में लगी हुयी है। यह मशीन दिल की बीमारियों का पता लगाने में बहुत उपयोगी है। यह मशीन न्यूक्लियर मेडिसिन में इस्तेमाल होती है। दिल की स्पेक्ट मशीन से दिल की मांसपेशियों में ख़ून पहुंचाया जाता है। इस मशीन का नाम रोबोस्पेक्ट है।

न्यूक्लियर मेडिसिन में दिल के स्कैन के लिए इस्तेमाल होने वाली  मशीन

इस मशीन के बारे में सईद सरकार का कहना है कि विदेश निर्मित स्पेक्ट मशीन की तुलना में ईरान में बनी मशीन में इनोवेशन किया गया है। यह मशीन क्वालिटी और क़ीमत की नज़र से भी दूसरे उकपरणों से मुक़ाबला कर सकती है। यह मशीन रेडियो ऐक्टिव पदार्थ के मरीज़ को इंजेक्ट कर सकती है और उसके बाद यह पदार्थ दिल में अवशोषित हो जाता है। उसके बाद मरीज़ के जिस्म में जो प्रक्रिया जन्म लेती है उससे उसके दिल की मुश्किल को समझा जाता है। यह मशीन दिल की बीमारी का पता लगाने में बहुत उपयोगी है। 
 

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