Feb ०२, २०२१ १६:१९ Asia/Kolkata
  • धूम्रपान एवं तंबाकू के कारण दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख से अधिक लोग मौत का शिकार हो जाते हैं

क्लैरियट एनालिटिक्स संस्था ने 2017 में दुनियाभर के विशेषज्ञों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें विज्ञान की दुनिया में सात ईरानी वैज्ञानिकों के नाम का उल्लेख था।

यह संस्था हर वर्ष 21 अलग अलग विषयों में दुनिया भर के तीन हज़ार से अधिक वैज्ञानिकों, आविष्कारकों और उनके अविष्कारों के नाम को दुनिया के सामने पेश करती है।

इसी तरह वह शोधकर्ता जिनके शोधपत्रों  को दस्तावेज़ के रूप में पेश किया जाता है, वह बहुत ही प्रभावी शोधकर्ता समझे जाते हैं जिनके नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। इन्हीं प्रमुख शोधकर्ताओं में से अमीर कबीर टेक्निकल कालेज के ईरानी शोधकर्ता, बाबुल के नौशेरवानी टेक्नीकल कालेज के शोधकर्ता, शीराज़ टेक्नीकल कालेज के शोधकर्ता और आज़रबाइजान के मदनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नाम हैं जिन्होंने वर्ष 2017 में 3 हज़ार 400 शोध पत्र लिखे और विज्ञान की दुनिया में हलचल मचा दी।

इसी तरह ईरानी शोधकर्ताओं ने क़ालीन बनाने वाली एक कंपनी में नैनो तकनीक का प्रयोग करके एंटी बैक्टीरियल विशेषता वाले क़ालीन बनाने में सफलता हासिल की।  यह क़ालीन अब ईरानी बाज़ारों में आसानी से मिल रहे हैं। घरों की सुन्दरता में क़ालीन की एक अलग ही भूमिका होती है लेकिन क़ालीन जहां घरों को सुन्दरता प्रदान करता है वहीं एलर्जी और अस्थमा की बीमारी का कारण भी बनता है। स्कूलों, अस्पतालों और अन्य चिकित्सा केन्द्रों में आम क़ालीनों के स्थान पर एंटी बैक्टीरियल क़ालीनों का इस्तेमाल किया जाता है।

दुनिया में हर इंसान के लिए स्वास्थ्य का विषय सबसे गंभीर मुद्दा बना हुआ है, स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं। दिल से संबंधित बीमारियों को नियंत्रित करके आप अपने दिल की रक्षा कर सकते हैं। दिल की बीमारी मौत का कारण भी बन सकती है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि इस बात को आप गांठ में बांध लें।

दिल की बीमारी का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के करीब 125 देशों में तंबाकू पैदा होता है। एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। धूम्रपान का घातक प्रभाव खाँसी, गले में जलन, सांस लेने में परेशानी और कपड़ों की दुर्गंध के साथ आरंभ होता है। इसकी वजह से त्वचा पर धब्बे पड़ जाते हैं और दांतों का रंग ख़राब हो जाता है। 

धूम्रपान एवं तंबाकू के कारण दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख से अधिक लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। भारत में भी यह संख्या  8 लाख से अधिक है। अनुमानतः 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस एवं 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है। एक रिपोर्ट के अनुसार बीसवीं सदी के अंत तक सिगरेट पीने के कारण 6 करोड़ 20 लाख लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। विकसित देशों में हर छठी मौत सिगरेट के कारण होती है। महिलाओं में सिगरेट पीने के बढ़ते चलन के कारण यह आँकड़ा और बढ़ सकता है। पुरुषों की हर पांच मौतों में से एक और महिलाओं की हर 20 मौतों में से एक मौत धूम्रपान और तंबाकू के अन्य पदार्थों के कारण होती है।

विभिन्न शोधों से जो परिणाम सामने आये हैं वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि धूम्रपान, रक्त संचार की व्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव डालता है। धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धुएं का सामना, हृदय और मस्तिष्क की बीमारियों का महत्वपूर्ण कारण है। इन अध्ययनों में पेश किये गये आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि कम से कम सिगरेट का प्रयोग भी जैसे एक दिन में पांच सिगरेट या कभी कभी 1 सिगरेट का सेवन भी हृदय की बीमारियों से ग्रस्त होने के लिए पर्याप्त है।

धूम्रपान के धुएं में मौजूद पदार्थ जैसे आक्सीडेशन करने वाले निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों का कारण हैं। धूम्रपान का सेवन इस बात का कारण बनता है कि शरीर पर इन्सुलीन का प्रभाव नहीं होता है और इस चीज से ग्रंथियों एवं गुर्दे को क्षति पहुंच सकती है। धूम्रपान के सेवन के हानिकारक प्रभावों से केवल लोगों के स्वास्थ्य को खतरा नहीं है बल्कि इससे आर्थिक क्षति भी पहुंचती है विशेषकर यह निर्धन लोगों की निर्धनता में वृद्धि का कारण है।

जीवन शैली में परिवर्तन के तहत कम वसा वाला खाना लेना, कम सोडियम वाला आहार खाना, सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30  मिनट तक मध्यम व्यायाम करना और धूम्रपान छोड़ देना वह तरीक़े हैं जिन्हें अपनाकर हृदय रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। हेल्दी फेफड़ों के लिए फूड्स कारगर माने जाते हैं जो कई एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। अगर आप अपनी स्ट्रॉन्ग लंग्स डाइट में अच्छे आहार को शामिल करते हैं तो आप फेफड़ों की कई समस्याओं को दूर करने में मदद पा सकते हैं।

जो लोग कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवाएं प्रयोग करते हैं वह यह समझते हैं कि वह जो कुछ चाहें खा पी सकते हैं, हम उनको यह बताना चाहते हैं कि वसा के प्रयोग को तो आप सीमित कर सकते हैं लेकिन इन दवाओं के साइड इफ़ेक्ट को रोक नहीं सकते।  कोलेस्ट्रॉल एक केमिकल कंपाउंड होता है जिसकी ज़रूरत सेल के निर्माण और हॉर्मोंस के लिए होती है। इसके सिर्फ बढ़ जाने पर आपके शरीर को नुकसान होने लगता है। हार्ट डिज़िज़, हार्ट अटैक और पेरिफेररल आर्टरी डिज़िज़ का खतरा आपको घेर लेता है।

कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है। लो डेंसिटी लिपोप्रोटींस "एलडीएल" या बैड कोलेस्ट्रॉल  अर्थात हानिकारक कोलेस्ट्रॉल यह ख़ून की नाड़ियों में जमा हो जाता है। इससे ख़तरनाक बीमारियां हो सकती हैं। हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटींस "एचडीएल" जिसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है, शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को लीवर के पास ले जाने का काम करता है जिससे शरीर से इसका निष्कासन हो सके।

बदलती जीवनशैली के साथ हमारा खानपान और रहने का तरीका भी बदला है, जिस कारण हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन रहा है। ऐसे में कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो आम होते हुए भी खतरनाक रूप ले सकती हैं। उन्हीं में डायबिटीज (मधुमेह) भी शामिल है। ऐसे में डॉक्टर डायबिटीज रोगी को 1200 से 1800 कैलोरी प्रतिदिन लेने की सलाह दे सकते हैं, ताकि ली जाने वाली दवा बेहतर तरीके से काम कर सके, ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि डायबिटीज़ में आहार नियमित और संतुलित हो।

डायबिटीज में संतुलित डाइट लेना बहुत आवश्‍यक है। अगर संतुलित भोजन करेंगे तो बड़ी आसानी से शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। आमतौर पर माना जाता है कि डायबिटीज के मरीज को ज्‍यादा कार्बोहाइड्रेट, फैट और चीनीयुक्‍त मीठे पदार्थ कम या न के बराबर खाने चाहिए। इसके अलावा दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा खाना खाया जाए। (AK)

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