Oct २४, २०२१ २०:२६ Asia/Kolkata

...... ब्रिटेन में लंदन के इस्लामिक सेंटर में 25वें इस्लामी एकता सम्मेलन में मुस्लिम मतों को एक दूसरे के क़रीब लाने और एकता के रिश्ते को मज़बूत करने की तरीक़ों की समीक्षा की गई।....हम इस कोशिश में थे कि अलग अलग मतों को और धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों और प्रभावी लोगों को एक साथ जमा करें कि वह एक दूसरे को पहिचानें, एक दूसरे की समस्याओं और ख़ूबियों से अवगत हों।

उनके बीच मिलना जुलना रहे। ग़लतफ़हमियां दूर हों और सहयोग की मदद से वह इस्लामी एकता हासिल हो जिस पर क़ुरआन ने और पैग़म्बरे इस्लाम ने ज़ोर दिया है। इस एकता सम्मेलन का संदेश यह है कि निश्चित रूप से आज हमें एकता और एकजुटता सौ साल और दो सौ साल पहले की तुलना में कहीं अधिक ज़रूर है।

सम्मेलन की शुरुआत ईरान के विख्यात विचारक और दार्शनिक आयतुल्ला जवादी आमुली के वीडियो संदेश से शुरू हुआ जबकि अलग अलग देशों के धर्मगुरुओं, वक्ताओं, बुद्धिजीवियों और विचारकों ने वर्चुअल और फ़िज़िकल रूप में इस सम्मेलन में भाग लिया। इन हस्तियों ने एकता को मज़बूत करने के तरीक़ों के प्रोत्साहन और मुसलमानों में फूट डालने वाले कारकों की रोकथाम के तरीक़ों पर रोश्नी डाली।......इस्लामी जगत की एकता के दो मुख्य बिंदु हैं। हज़रत मुहम्मद सलामुल्ला अलैह और उनके परिजन। अगर हम इन दोनों ध्रुवों पर नज़र केंन्द्रित रखें तो एकजुट हो सकते हैं। क्योंकि यह इस्लाम की मूल्यवान पूंजी है। उनको केन्द्र में रखकर हम एकजुट हों तो अधिक ताक़तवर बन सकते हैं।

इस्लामी एकता एसा विषय है जिस पर यूरोप के नए नए मुसलमान होने वाले लोग भी ज़ोर दे रहे हैं।.....यूरोपीय महिला का कहना है कि मैं नई मुसलमान हुई हूं मुझे महसूस होता है कि एकता इस्लामी जगत की बड़ी ज़रूरत है। शीया सुन्नी के फ़र्क़ से एकता को नुक़सान नहीं पहुंचना चाहिए। सम्मेलन में ज़ोर दिया गया कि एकता को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी है कि आपसी संवाद का सिलसिला जारी रहे।.....मुस्लिम धर्मगुरू का कहना था कि हम एकता के लिए सबसे अहम काम जो कर सकते हैं वह यह है कि एक दूसरे के फ़र्क़ को समझें उसके बाद आपसी एकता को मज़बूत बनाते हुए इस्लामोफ़ोबिया जैसी चुनौतियों का सामना करें।

इस सम्मेलन के आयोजन से कई लक्ष्य हासिल हुए।....इस सम्मेलन का आयोजन केवल एकता के लिए नहीं बल्कि इसलिए भी कि इस्लामी समाजों का सशक्तीकरण किया जाए और चुनौतियों पर क़ाबू किया जाए।

इस सम्मेलन के अधिकतर वक्ताओं का कहना था कि अल्लाह के फ़रमान के मुताबिक़ ज्ञान और जानकारी एकता की पूर्व शर्त है और एकता इस्लामी जगत की चुनौतियों पर क़ाबू पाने की पूर्व शर्त है। लंदन से आईआरआईबी के लिए मुजतबा क़ासिम ज़ादे की रिपोर्ट    

 

 

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