Jul १७, २०२२ १८:०४ Asia/Kolkata

अमरीका की गुप्तचर सेवा के प्रमुख विलयम बर्नज़ एक शिष्टमण्डल के साथ गुप्त यात्रा पर आरमीनिया पहुंचे हैं।

स्पूतनिक समाचार एजेन्सी ने सीआईए के प्रमुख और आरमीनिया के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भेंटवार्ताओं की रिपोर्ट दी है।

हालांकि आरमीनिया में मौजूद अमरीकी कूटनयिकों ने इस यात्रा के बारे में कुछ नहीं बताया है।  एसा लगता है कि केन्द्रीय एशिया और पश्चिमी एशिया में लगातार पराजय के बाद अमरीकी अधिकारियों ने दक्षिणी क़फ़क़ाज़ या साउथ काकेशस में अपना प्रभाव बनाने के लिए सारे संसाधन लगा दिये हैं।  सीआईए के प्रमुख की आरमीनिया यात्रा के बारे में वहां के सरकारी संचार माध्यमों में इस ओर ध्यान न दिये जाने के बावजूद स्वतंत्र और सोशल मीडिया पर इस संबन्ध में प्रतिक्रियाएं आई हैं।

29500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के स्वामी आरमीनिया जैसे छोटे से देश में अमरीका का सबसे बड़ा दूतावास स्थित है।  रूस, कनाडा और अर्जनटीना जैसे देश जो भूभाग की दृष्टि से काफी बड़े हैं उन्होंने भी अमरीका को अपने यहां इतने बड़े क्षेत्रफल में दूतावास बनाने की अनुमति नहीं दी जबकि आरमीनिया में 9 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में अमरीकी दूतावास बना हुआ है।  स्वभाविक सी बात है कि यह कोई सामान्य बात नहीं है इसलिए इस विषय को आसानी से अनदेखा नहीं किया जा सकता।  इसके अतिरिक्त आरमीनिया में अमरीका की कुछ जैविक प्रयोगशालाएं बनी हुई हैं।

सीआईए के प्रमुख की आरमीनिया यात्रा के दृष्टिगति इस बात की भी संभावना पाई जाती है कि क्रेमलिन पर दबाव डालने के उद्देश्य से अमरीकी अधिकारी, कोई चाल चल सकते है।  सीधी सी बात है कि रूस या किसी भी स्वतंत्र देश के विरुद्ध अपनी योजना को लागू करने के लिए अमरीका को आरमीनिया की सरकार से किसी भी प्रकार की अनुमति की आवश्कयता नहीं है।

इसके अतिरिक्त सीआईए के प्रमुख की इस यात्रा की कई अन्य आयामों से समीक्षा की जा रही है।  उदाहरण स्वरूप हालिया दिनों में अमरीका और ज़ायोनियों से संबन्धित संचार माध्यमों ने ईरान द्वारा रूस को उन्नत ड्रोन बेचने पर आधारित एक समाचार को बहुत आम किया है जबकि ईरान और रूस के अधिकारियों ने इस प्रकार के समाचार को ग़लत बताया है।  एसा लगता है कि अमरीका इस अफवाह को फैलाकर एक ओर रूस की सैन्य शक्ति को कमज़ोर दर्शाना चाहता है ताकि लोगों को विश्वास हो जाए कि रूस में अब मुक़ाबले की क्षमता नहीं रह गई है।

दूसरी ओर इस अफवाह को फैलाकर वह बड़े पैमाने पर अपने हथियार बेचना चाहता है।  जब क्षेत्रीय देशों को ईरान की बढ़ती शक्ति का विश्वास हो जाएगा तो वे निश्चित रूप में स्वयं को सुरक्षित करने के लिए हथियार ख़रीदना चाहेंगे।  केन्द्रीय एशिया में वाइट हाउस की हालिया विफलताओं के कारण एसा भी हो सकता है कि अमरीका अपने दृष्टिगत कार्यक्रम को लागू करने के लिए आरमीनिया को आगे बढ़ाने का काम कर रहा हो।

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