Oct २०, २०२१ १६:१२ Asia/Kolkata

मुसलमान इतिहासकार पैग़म्बरे इस्लाम के अदभुत और महान स्थान के लिए जो दलीलें पेश करते हैं उनमें से एक पहले के पैग़म्बरों और महान हस्तियों द्वारा पैग़म्बरे इस्लाम की महानता की गवाही है।

विख्यात इतिहासकार और धर्मगुरु सैयद इब्ने तावूस अपनी किताब सअदुस्सऊद में लिखते हैं कि अल्लाह ने हज़रत आदम से कहा कि हे आदम अपने वंशजों को देखो। हज़रत आदम को अपने वंशजों के भीतर एक समूह उन लोगों का देखा जिनकी ज्योति हर तरफ़ फैली हुई थी और उनसे ख़ास प्रकार का तेज निकल रहा था। हज़रत आदम ने पूछा कि हे पालनहार यह कौन लोग हैं? अल्लाह ने जवाब दिया कि यह पैग़म्बर हैं जो आपकी नस्ल में हैं। हज़रत आदम ने सवाल किया कि क्या वजह है कि आख़िरी नबी का नूर सबसे ज़्यादा है? अल्लाह ने जवाब दिया कि इसकी वजह यह है कि वह सबसे ज़्यादा महान हैं। हज़रत आदम ने सवाल किया कि यह पैग़म्बरे कौन है? और उसका नाम क्या है? अल्लाह ने जवाब दिया कि यह मुहम्मद हैं, मेरे दूत, मेरे विश्वास पात्र, बहुत सज्जन, रहस्यों से आगाह, चुने हुए, पाकीज़ा, हमारे चाहने वाले और दोस्त, यह मेरी नज़र में सबसे महन रचना है जो मुझे सबसे ज़्यादा प्रिय है, मेरे सबसे ज़्यादा क़रीब है और मेरे ज़रिए पैदा की गई रचनाओं में सबसे ज़्यादा परिचित। वह ज्ञान, संयम, ईमान, यक़ीन, सच्चाई, सुकर्म, पाकीज़गी, विनम्रता, परहेज़गारी और आज्ञापालन में सबसे आगे हैं। मैंने उनके लिए अपनी सारी रचनाओं से वादा लिया है कि उस पर ईमान लाएं और उसकी पैग़म्बरी की गवाही दें। हे आदम उन पर ईमान ले आओ कि मेरे निकट तुम्हारा स्थान, फ़ज़ीलत, प्रकाश और प्रतिष्ठा और भी बढ़ जाए। हे आदम पैग़म्बरों में सबसे पहले पैग़म्बर तुम हो और तुम्हारे बेटे मुहम्मद आख़िरी पैग़म्बर हैं।

 

क़ुरआन की आयतों के अध्ययन से पता चलता है कि सारी पिछली जातियों और पैग़म्बरों के लिए ज़रूरी कर दिया गया था कि वह पैग़म्बरे इस्लाम की पैगम़्बरी पर ईमान लाएं क्योंकि अल्लाह ने इस बारे में सबसे वादा ले लिया है और उन्होंने यह संकल्प लिया है कि हज़रत मुहम्मद के जन्म के बाद के दौर में अगर वह जीवित रहे तो इस्लाम पर ईमान लाएंगे। क़ुरआन सूरए आले इमरान की आयत 81 में कहता है कि (और ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब ख़ुदा ने पैग़म्बरों से इक़रार लिया कि हम तुमको जो कुछ किताब और हिकमत (वगैरह) दें उसके बाद तुम्हारे पास कोई रसूल आए और जो किताब तुम्हारे पास है वह उसकी पुष्टि करे तो (देखो) तुम ज़रूर उस पर ईमान लाना, और ज़रूर उसकी मदद करना।

इन आयतों से साफ़ है कि पैग़म्बरे इस्लाम की हस्ती अल्लाह के दूसरे पैग़म्बरों के बीच जानी पहिचानी हस्ती थी। इसीलिए क़ुरआन के व्याख्याकर्ताओं का मानना है कि पैग़म्बरे इस्लाम की एक विशेषता अद्वितीय है कि उनका नाम दूसरे धर्मों के ग्रंथों में भी दर्ज है। तौरैत और इंजील जैसी आसमानी किताबों में पैग़म्बरे इस्लाम का नाम, उनकी विशेषताएं, उनकी निशानियां और उनकी पैग़म्बरी की दलीलें अलग अलग अंदाज़ से लिखी हुई हैं जिससे उनकी सत्यता का हर किसी को यक़ीन हो जाता है। इस बारे में क़ुरआन कहता है कि जो लोग हमारे पैग़म्बर के क़दम ब क़दम चलते हैं जिस (की बशारत) को अपने यहां तौरैत और इन्जील में लिखा हुआ पाते हैं।

क़ुरआन एक अन्य आयत में कहता है कि आसमानी किताबों वाले धर्मों के धर्मगुरु पैग़म्बरे इस्लाम को अपने बेटों की तरह पहचानते हैं और उनकी निशानियां उनकी किताबों में लिखी हुई हैं। सूरए बक़रह की आयत संख्या 146 में आया है कि जिन लोगों को हमने किताब (तौरैत वग़ैरह) दी है वह जिस तरह अपने बेटों को पहचानते है उसी तरह तरह वह उस पैग़म्बर को भी पहचानते हैं। इन आयतों से पता चलता है कि पैग़म्बरे इस्लाम की निशानियां पिछले धर्मों के ग्रंथों में इतने स्पष्ट ढंग से बयान की गई थीं कि इन ग्रंथों का ज्ञान रखने वालों के मन में पैग़म्बरे इस्लाम की पूरी तसवीर थी।

 

रवायतों में है कि हज़रत ईसा ने अपने बाद पैग़म्बरे इस्लाम के उदय की निशानियों के बारे में बताया था। हज़रत ईसा ने जो ख़ुद भी अल्लाह का बड़ा चमत्कार थे, अरब प्रायद्वीप में आख़िरी ईश्वरीय दूत के भेजे जाने की बात करते थे। वह पैग़म्बरे इस्लाम के आगमन की निशानियों के बारे में बताते थे और लोगों के दिलों में उनके ईश्क़ की शमा जलाते थे। यह स्थिति थी कि जहां भी हज़रत ईसा का धर्म फैलता था वहां पैग़म्बरे इस्लाम के आगमन की शुभसूचना भी फैल जाती थी। जर्मन मनोवैज्ञानिक कार्ल जैस्पर्ज़ अपनी किताब क्राइस्ट में लिखते हैं कि हज़रत मसीह की जो चीज़ें हम बहुत निश्चय के साथ जानते हैं उनमें उनके द्वारा दी गई शुभसूचनाएं हैं। इनमें कुछ शुभसूचनाएं आख़िरी पैग़म्बर के बारे में हैं जो अब भी ईसाइयों और यहूदियों के पवित्र ग्रंथों में मौजूद हैं। यूहन्ना की इंजील में अध्याय 14 खंड 16 में में आया है कि मैं उससे विनती करूंगा और वह तुम्हें दूसरा तसल्ली देने वाला यानी पैग़म्बरे इस्लाम को प्रदान करेगा। हज़रत ईसा ने कई स्थानों पर अपने बाद फ़ारक़लीत यानी पैग़म्बरे इस्लाम के आगमन की बात कही है। वह कहते हैं कि जब तक मैं नहीं जाउंगा  वह नहीं आएंगे। अगर मुझे चाहते हो तो मेरी वसीयत को संभाल कर रखो। वह अल्लाह की पाकीज़ा आत्मा है जो तुम्हें तथ्यों से परिचित कराएगा। यही वजह थी कि जब पैग़म्बरे इस्लाम ने इस्लाम का संदेश हब्शा के शासक नज्जाशी को भेजा तो उन्होंने कहा कि ईश्वर की सौगंध यह वही पैग़म्बर है जिसका इंतेज़ार किताब वालों को पहले से था।

हज़रत मूसा की किताब तौरैत में भी पैग़म्बरे इस्लाम की विशेषताओं का ज़िक्र किया गया है और उन्हें मक्के के लिए मज़बूत स्तंभ बताया गया है। इसी तरह ओल्ड टेस्टामेंट ड्यूट्रोनोमी में आया है कि और ईश्वर ने मुझसे कहा कि उन्होंने जो भी कहा अच्छा कहा। उनके लिए उन्हीं के बीच से तुम्हारी तरह एक पैग़म्बर भेजूंगा और उसकी ज़बान पर अपना संवाद रख दूंगा मैं उसे जो आदेश दूंगा वही उनके सामने बयान करेगा।

आगे चलकर तौरैत की आयत पैग़म्बरे इस्लाम की इस तरह सराहना करती है कि अल्लाह उनकी जान उस वक़्त तक नहीं लेगा जब तक उनके ज़रिए पिछड़ी हुई और नासमझ क़ौम को सत्य के रास्ते पर नहीं पहुंचा देगा और उन्हें एकेश्वरवाद से परिचित नहीं करा देगा। वह अंधी आंखों को प्रकाश देगा और ज़ंग लगे हुए बीमार दिलों को ज्योतिमय बनाएगा और सत्य की आवाज़ न सुन पाने वाले कानों को इसके लिए तैयार कर देगा।

 

हज़रत इब्राहीम भी अल्लाह के बड़े पैग़म्बरों में से हैं। उन्होंने मक्के में जब अल्लाह का घर बनाया तो हाथों को उठाकर हज़रत मुहम्मद के बारे में दुआ की कि हे पालनहार इस इलाक़े में एक पैग़म्बर भेज जो यहीं का रहने वाला हो और लोगों के सामने तेरी आयतों की तिलावत करे उन्हें किताब और हिकमत सिखाए, उन्हें गंदगी और गुनाहों से पाक करे।

काब इब्ने ग़ालिब हज़रत इब्राहीम के एकेश्वरवादी मत के मानने वाले बड़े ज्ञानियों में थे जो पैग़म्बरे इस्लाम से पहले के दौर में थे। उन्होंने हज़रत इब्राहीम के ग्रंथों में पैग़म्बरे इस्लाम के बारे में बहुत कुछ पढ़ा और उन पर ईमान लाए।

अनीसुल आलाम किताब के लेखक मुहम्मद सादिक़ फ़ख्रुल इस्लाम ही पहले मशहूर ईसाई पादरी थी। उन्होंने पहले अपने एक गुरु से जो ईसाई धर्म के बड़े धर्मगुरु थे हज़रत मुहम्मद के बारे में सुना, उनको बहुत अच्छी तरह पहचाना फिर इस्लाम धर्म स्वीकार कर  लिया। वह अपनी किताब में हज़रत मुहम्मद का धर्म इस्लाम स्वीकार करने के बारे में लिखते हैं कि मेरे गुरु ने वैटिकन में ईसाइयों की दो विशुद्ध किताबें दिखाईं जिनमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। एक किताब यूनानी भाषा में थी और दूसरी किताब सरियानी भाषा में थी जो खाल पर लिखी हुई थी। सरियानी भाषा की किताब में पैग़म्बरे इस्लाम को फ़ारक़लीता के नाम से याद किया गया है। यूनानी भाषा की किताब में उन्हें प्रीकातोस के नाम से याद किया गया है। इन दोनों शब्दों का अनुवाद अहमद और मुहम्मद था। उनके सारे गुणों की सराहनी की गई थी और उनके आगमन की शुभसूचना हज़रत ईसा की ज़बानी दिए जाने का उल्लेख था।

पांचवें इमाम हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम से पिछले पैग़म्बरों की किताबों में हज़रत मुहम्मद के नाम का उल्लेख मौजूद होने के बारे में पूछा किया तो उन्होंने जवाब दिया कि हज़रत इब्राहीम के ग्रंथों में उकना नाम माही यानी साफ़ करने वाला, तौरैत में उनका नाम हाद यानी योद्धा, इंजील में उनका नाम अहमद और क़ुरआन में उनका नाम मुहम्मद है। किसी ने सवाल किया कि इन नामों से क्या तात्पर्य है तो इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया कि पैग़म्बरे इस्लाम बुतों को मिटाने वाले और बुतों की पूजा को समाप्त करने वाले हैं। वह अल्लाह के अलावा किसी को भी पूज्य के रूप में बाक़ी नहीं रहने देंगे। हाद से तात्पर्य यह है कि वह हर उस व्यक्ति का मुक़ाबला करेंगे जो अल्लाह के दीन से जंग करे। अहमद से तात्पर्य यह है कि अल्लाह ने उनकी बेहतरीन ढंग से प्रशंसा की है। उनका नाम मुहम्मद इसलिए है कि अल्लाह, उसके फ़रिश्ते, पैग़म्बर और उम्मतें सब उनकी प्रशंसा करते हैं और उन पर दुरूद व सलाम भेजते हैं।

 हज़रत मुहम्मद हक़ीक़त में आख़िरी पैग़म्बर और उनमें सबसे श्रेष्ठ हैं। प्रलय के दिन सारी उम्मतें अपने अपने पैग़म्बर के साथ पैग़म्बरे इस्लाम की अगुवाई में और उनके झंठे के नीचे नज़र आएंगी। वह एक संतुलित और संपूर्ण इंसान का नमूना है। सारे इंसानों के पास एक प्रकार की क्षमता, कमाल और विशेषता है। लेकिन विशेषताओं का सारा फल तब हासिल होता है जब इंसान कमाल और महानता के स्रोत से खुद को समन्वित कर ले। जिस इंसान का अल्लाह से रिश्ता और संपर्क मज़बूत होगा महानता और प्रतिष्ठा के ऊंचे दर्जे उसे हासिल होंगे। इसलिए के इज़्ज़त और कमाल तो अल्लाह के हाथ में है। पैग़म्बरे इस्लाम जो महान हस्ती का सर्वोच्च उदाहरण हैं संपूर्णता के स्रोत से समन्वित हैं वह कमाल और महानता में इतनी ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं कि बहुत से फ़रिश्ते भी वहां नहीं पहुंचे हैं। पैग़म्बरे इस्लाम अपने महान चमत्कार यानी क़ुरआन की मदद से एक आकर्षक और जीवंत मत लेकर आए जो इंसान की प्रकृति  और प्रवृत्ति से तालमेल रखता है और हर ज़माने में उसकी ज़रूरतें पूरी करने में सक्षम है। आज़ादी, इंसानियत, प्रेम, मानवाधिकार जैसे विषय जो आज स्वार्थी ताक़तों के हाथों खिलवाड़ बन गए हैं पैग़म्बरे इस्लाम के कठिन प्रयासों से सार्थक बने थे। उनका संदेश दोस्ती, भाईचारे और इंसानों के बीच न्याय का संदेश है। यह शैली हमेशा बाक़ी रहने वाली है।

टैग्स