Pars Today
आपको याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने बच्चे की शिक्षा और इस संबंध में मां-बाप की ज़िम्मेदारियों के बारे में बताया था।
हमने बताया था कि दुनिया के हर इंसान की भांति बच्चों के भी आरंभिक और व्यक्तिगत अधिकार होते हैं।
दुनिया के हर इंसान की भांति बच्चों के भी आरंभिक और व्यक्तिगत अधिकार होते हैं।
बच्चे का एक अधिकार वंश व पारिवारिक संबंध है यानी यह ज्ञात होना ज़रूरी है कि जो बच्चा पैदा हुआ है उसके माता- पिता कौन हैं?
नवजात के पैदा होते ही जीवन को जारी रखना उसका सबसे अहम मस्ला होता है क्योंकि बच्चा अपनी रक्षा करने की स्थिति में नहीं होता।
पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों और वैज्ञानिकों की नज़र में गर्भधारण के समय बच्चे पर शारीरिक व मानसिक दृष्टि से बहुत ज़्यादा असर पड़ता है और भ्रूण पर मां के व्यवहार का भी असर पड़ता है।
मां के पेट में जो भ्रूण व बच्चा होता है उसका एक अधिकार स्वस्थ होना और उसकी निगरानी है।
इस्लामी किताबों व स्रोतों में भ्रूण के जीवन चक्र के ख़त्म होने और बच्चे के जन्म लेने से पहले गर्भाधारण और भ्रूण शब्दावली का इस्तेमाल मिलता है।
परिवार हर समाज की मूल इकाई होते हैं और इनकी सबसे महत्वपूर्ण उपज और पैदावार वे बच्चे होते हैं जो हर समाज का भविष्य होते हैं।
जब बात बच्चों और उनके अधिकार की आती है तो इस विषय को दो दृष्टि से देखा जा सकता है।