लोकतंत्र पर अमरीका की बैठक से भड़के चीन और रूस, बताया नया बंटवारा करने की वाशिंग्टन की चाल
अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार ने लोकतंत्र के विषय पर वर्चुअल शिखर बैठक का एलान करके चीन और रूस को नाराज़ कर दिया है। अमरीका ने इस सम्मेलन में 110 देशों को आतंत्रित किया है।
यह बैठक दिसम्बर महीने में आयोजित होने वाली है और अमरीका ने इसमें चीन और रूस सहित बहुत से देशों को आतंत्रित नहीं किया है जबकि ताइवान को न्योता देकर चीन को चिढ़ाने की कोशिश की है।
क्रेमलिन हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि अमरीका नया बंटवारा करने की कोशिश कर रहा है और इस बंटवारे में एक तरफ़ अमरीका के पसंदीदा देश और दूसरी तरफ़ वह देश हैं जो अमरीका को पसंद नहीं हैं।
बीजिंग ने इस वर्चुअल बैठक में ताइवान को आमंत्रित किए जाने का विरोध किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लीजियान ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के स्तर पर ताइवान की हैसियत चीन के अभिन्न अंग की है।
हालांकि अमरीका भी ताइवान को अलग देश तो नहीं मानता मगर उसका कहना है कि ताइवान लोकतंत्र का अच्छा उदाहरण है।
हालिया हफ़्तों में यह देखने में आया कि अमरीका और चीन के बीच आरोप प्रत्यारोप की प्रक्रिया तेज़ हो गई है और ताइवान, वहां की करेंसी और सेना के बारे में अमरीका ने कई बयान दिए हैं।
अमरीका ने इस सम्मेलन के लिए भारत को आमंत्रित किया है जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है मगर मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी की सरकार एक लोकतांत्रिक देश में अल्पसंख्यकों को कुचल रही है। भारत को अमरीका अपना क़रीबी घटक मानता है। यह बैठक 9 और 10 दिसम्बर को आयोजित होगी।
पश्चिमी एशिया से इस सम्मेलन में केवल इस्राईल और इराक़ को आमंत्रित किया गया है हालांकि इस्राईल ग़ैर क़ानूनी शासन है जो फ़िलिस्तीन की धरती पर ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े के नतीजे में अस्तित्व में आया है।
बाइडन ने सम्मेलन के लिए ब्राज़ील को आतंत्रित किया है हालांकि वहां के राष्ट्रपति को बहुत से लोग आलोचना का निशाना बनाते हुए कहते हैं कि दक्षिणपंथी विचारधारा वाले राष्ट्रपति तानाशाहों जैसा शासन करते हैं।
अमरीका ने यूरोप से पोलैंड को भी आतंत्रित किया है जिसके बारे में यूरोपीय संघ का आरोप है कि वह अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का सम्मान नहीं करता।
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