Jul ०१, २०२२ १९:२८ Asia/Kolkata
  • सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंची नूपुर शर्मा को अदालत ने किया बेनक़ाब, भड़काऊ डीबेट कराने वाले टीवी चैनलों को लेकर भी न्यायलय सख़्त

भारत का सत्तारूढ़ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी से निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार लगी है। कोर्ट ने कहा है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) पर टिप्पणी के लिए उन्हें पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, पैग़म्बरे इस्लाम (स) के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने वाली पूर्व बीजेपी नेता नूपुर शर्मा को उस समय भारतीय सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार लगी जब वह देश के अलग-अलग हिस्सों में दर्ज उनके ख़िलाफ़ मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की अर्ज़ी लेकर सर्वोच्च न्यायल पहुंची थीं। दुनिया भर में भारत की छवि को नुक़सान पहुंचाने और देश के संप्रायिक सौहार्द को ख़राब करने वाली पूर्व बीजेपी नेता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि पैग़म्बरे इस्लाम पर टिप्पणी के लिए उन्हें पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। साथ ही उनके ख़िलाफ़ दर्ज सभी एफआईआर को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए राहत देने से भी इनकार कर दिया। नूपुर ने कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है। नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आज जो भी देश में हो रहा है उसके लिए वह अकेली ज़िम्मेदार हैं।

जस्टिस सूर्यकांत ने नूपुर शर्मा की याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा, "उन्हें ख़तरा है या वह सुरक्षा के लिए ख़तरा बन गई है? जिस तरह से उन्होंने देश भर में भावनाओं को भड़काया है...देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले ज़िम्मेदार है।" नूपुर की तरफ से पेश वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट से कहा था कि नूपुर के जीवन को ख़तरा है। जस्टिस सूर्यकांत ने आगे कहा, "हमने इस बात पर बहस देखी कि उन्होंने कैसे भड़काने की कोशिश की, लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह सब कहा और बाद में कहती हैं कि वह एक वकील थी, यह शर्मनाक है। उन्हें पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।"

बेंच ने उस चर्चा की मेज़बानी करने वाले टीवी चैनल पर भी कड़ा रुख अपनाया। इसी टीवी डिबेट में नूपुर शर्मा ने पैग़म्बरे इस्लाम पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद कई शहरों में हिंसक घटनाएं हुईं और अरब देशों ने भारत के सामने विरोध दर्ज कराया था। बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से तभी निकाला जब अरब जगत में बवाल होने लगा और भारतीय राजदूतों को तलब किया जाने लगा। सरकार ने नूपुर के बयान से किनारा करते हुए कहा था कि यह उसकी राय नहीं है और एक व्यक्ति की राय है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, "हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्वीट और टिप्पणियां सरकार के विचारों को नहीं दर्शाती हैं।" कोर्ट ने सवाल किया टीवी चैनल ने कोर्ट में विचाराधीन मुद्दे पर बहस क्यों की। बेंच ने कहा, "टीवी चैनल को इस मामले पर बहस करने की क्या ज़रूरत थी? केवल एजेंडा का बढ़ावा देने के लिए।" बता दें कि नूपुर शर्मा अन्य मेहमानों के साथ टीवी बहस के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद पर चर्चा में शामिल हुईं थीं। (RZ)

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए

टैग्स