Jun ०८, २०२२ १८:५२ Asia/Kolkata

नेता इस्लामी गणराज्य के हज विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बुधवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमाम बाड़े में इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने हज को इंसानी ज़िन्दगी का स्तंभ और ऐसे अहम संदेश व पाठ पर आधारित बताया जिसमें इंसानी जिन्दगी के व्यक्तिगत व सामाजिक आयाम शामिल हैं। इसी तरह उन्होंने मेज़बान सरकार से सभी हाजियों विशेषकर ईरानी हाजियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने पर बल दिया।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने ʺमिल-जुल कर रहने की शिक्षाʺ, ʺसादा जीवनʺ और ʺगुनाहों तथा एहतियात वाले मामलों से बचनेʺ को हज के अहम पाठ बताये और कुछ सिफ़ारिशें करते हुए कहाः ʺसभी हाजी और हज के मामलों के ज़िम्मेदार इस बड़ी नेमत की क़द्र समझें और इसकी क़द्रदानी अल्लाह की निकटता हासिल करने की नीयत, संस्कारों को पुख़्तगी और रचनात्मकता से अंजाम देना है।ʺ

आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने हज के इस्लामी जगत के बीच एकता के प्रतीक होने का ज़िक्र करते हुए कहाः मुसलमानों के बीच एकता को नुक़सान पहुंचाने वाले हर कारण को रोकने की पूरी कोशिश होनी चाहिए क्योंकि मतभेद पैदा करना विशेषकर शिया-सुन्नी के बीच फूट डालना अंग्रेज़ों के हथकंडे हैं।

उन्होंने दूसरे देशों के हाजियों के साथ अच्छे व जाकरुकता पैदा करने वाले संपर्क और अच्छे क़ारियों की मदद से क़ुरआन की तिलावत को एकता बढ़ाने में सहायक तरीक़ा बताया और ज़ायोनियों को इस्लामी जगत की वर्तमान दौर की बड़ी मुसीबत बताया। सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने कहा कि ज़ायोनियों की साज़िशों का पर्दाफ़ाश करना हज में ज़रूरी है और अपने राष्ट्र की इच्छा के विपरीत अमरीकियों के इशारे पर ज़ायोनी शासन से संबंध सामान्य करने वाली अरब व ग़ैर अरब सरकारों को जान लेना चाहिये कि इस मेल-जोल का नतीजा, ज़ायोनी शासन के हाथों उनकी लूट के अलावा कुछ और नहीं निकलेगा।

सवाल यह पैदा होता है कि इस्राईल के साथ संबंध विस्तार या संबंधों के सामान्य बनाये जाने का क्या फायदा है जबकि सबने देख लिया है कि इसके फायदे क्या हैं? इसके बावजूद कुछ देश जायोनी शासन से संबंधों को क्यों सामान्य बनाना चाहते हैं? इसके जवाब में एक बात यह कही जा सकती है कि जो देश जायोनी शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाना चाहते हैं वे अपने देश का फायदा देखने के बजाये अमेरिका की प्रसन्नता हासिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

जो देश इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य बनाना चाहते हैं उन्हें बहुत अच्छी तरह पता है कि वहां की तानाशाही सरकारों को जनता का समर्थन प्राप्त नहीं है और अगर उनकी सरकारों को कोई खतरा होगा तो अमेरिका और इस्राईल उन्हें बचा सकते हैं और ये कभी भी तानाशाही सरकारों और वहां के नेताओं के खिलाफ नहीं बोलेंगे। बहरैन और सऊदी अरब की तानाशाही सरकारों के क्रियाकलापों पर अमेरिका की अर्थपूर्ण चुप्पी को इसी दिशा में देखा जा सकता है।

सारांश यह कि अरब देशों की तानाशाही सरकारें अमेरिकी प्रसन्नता में अपनी ग़ैर लोकतांत्रिक सरकारों की बका समझती हैं और इसीलिए कुछ अरब सरकारें जायोनी शासन से संबंधों को सामान्य बनाये जाने पर गर्व करती और मानवाधिकारों का खुला हनन कर रही हैं। MM

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