Pars Today
अमरीकी अख़बार वाशिंग्टन पोस्ट ने अपने स्तभकार सऊदी जर्नलिस्ट जमाल ख़ाशुक़जी के मामले में ट्रम्प प्रशासन के रवैए की निंदा करते हुए कहा है कि यदि ट्रम्प सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान का समर्थन बंद नहीं करते तो कांग्रेस को चाहिए कि हस्तक्षेप करे और अगर अपराध साबित होता है तो मुहम्मद बिन सलमान सहित ख़ाशुक़जी की हत्या के ज़िम्मेदारों पर प्रतिबंध लगाए।
संयक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार आयुक्त मिचेल बैचलेट ने मांग की है कि सऊदी अरब के वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की इस देश के इस्तांबूल स्थित वाणिज्य दूतावास में की गई हत्या के मामले की जांच में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए।
सऊदी अरब के वैज्ञानिक मुहम्मद अलमसेरी ने इस बात पर बल देते हुए कि बिन सलमान ने खाशुकजी की हत्या पर आग्रह किया था , कहा है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने हत्या संबंधी जानकारियां छुपाने में सहयोग किया है।
बहरैन में "अलवफाउल इस्लामी" धड़े के नेता शैख़ मुर्तज़ा अस्सनदी ने कहा है कि बहरैनी सरकार इस देश के क्रांतिकारियों का सफाया करने में लगी हुई है
इराक़ी महिला ने सुरक्षा कारणों से अपना नाम ज़ाहिर नहीं किया लेकिन बीबीसी से बातचीत में बताया कि उत्तरी इराक़ के करकूक नगर में आतंकी संगठन दाइश ने महिलाओं के साथ कैसी दरिंदगी की।
सऊदी अरब में सुधार की आड़ में इस देश के विरोधियों का खुलकर दमन किया जा रहा है।
सऊदी अरब ने मानवाधिकारों का हनन करते हुए क़तीफ़ शहर में चार नागरिकों को मौत की सज़ा देदी।
मिस्र से बाहर रहने वाले सैकड़ों विरोधियों ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह सीसी की सरकार गिराने के लिए कम्पेन आरंभ कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि बहरैन में आले ख़लीफ़ा सरकार अपने विरोधियों का दमन जारी रखे हुए हैं।
सऊदी अरब में विरोधियों को मौत की सज़ा का हुक्म सुनाना बाएं हाथ का खेल है