Jun २४, २०१६ १९:११ Asia/Kolkata
  • 23 जून 2016 को ताशक़न्द में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग के बीच मुलाक़ात की तस्वीर
    23 जून 2016 को ताशक़न्द में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग के बीच मुलाक़ात की तस्वीर

उज़बेकिस्तान की राजधानी ताशक़न्द में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग के बीच मुलाक़ात हुयी।

शंघाई सहयोग संगठन के अवसर पर इस मुलाक़ात को इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि कहा जा रहा है कि भारतीय प्रधान मंत्री ने परमाणु आपूर्तिकर्ता गुट एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन मांगा है।

यह मुलाक़ात ऐसे समय हुयी जब दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एनएसजी की बैठक चल रही है जिसमें भारत की सदस्यता का मामला भी पेश होने वाला है।

 

चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का अब तक विरोध करता रहा है। चीन के अलावा कुछ और सदस्य देश भी भारत की इस गुट में सदस्यता के ख़िलाफ़ हैं लेकिन नई दिल्ली की नज़र में अगर चीन अपना विरोध छोड़ दे, तो एनएसजी में कुछ सदस्यों की ओर से विरोध बेअसर हो जाएगा।

 

ताशक़न्द चीनी राष्ट्रपति से पाकिस्तानी राष्ट्रपति की मुलाक़ात

भारतीय प्रधान मंत्री से पहले ताश्क़न्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने भी चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग से मुलाक़ात की। पाकिस्तान का कहना है कि एनएसजी में भारत के साथ साथ उसे भी शामिल किया जाए और चीन भी पाकिस्तान के इस दृष्टिकोण का समर्थन करता हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के दृष्टिकोण का समर्थन करने पर चीनी राष्ट्रपति का आभार भी व्यक्त किया।

 

सियोल में एनएसजी बैठक में भारत की सदस्यता का विरोध

 

इस बीच एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, सियोल में एनएसजी की बैठक में कई सदस्य देशों ने इस समूह में भारत की सदस्यता का विरोध किया है। इन देशों में ऑस्ट्रिया, न्यूज़ीलैंड, आयरलैंड, तुर्की और ब्राज़ील शामिल हैं। इन देशों का तर्क यह है कि चूंकि भारत एनपीटी का सदस्य नहीं है इसलिए उसे एनएसजी में शामिल नहीं किया जा सकता।

(MAQ/N)

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