Oct १८, २०२१ ०८:३९ Asia/Kolkata
  • सऊदी अरब में 56 को मिली मौत की सज़ा, नाबालिग़ों सहित 40 अन्य क़ैदियों पर भी लटकी मौत की तलवार, मानवाधिकार के तथाकथित ठेकेदार ख़ामोश

समाचार पत्र अलअख़बार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सऊदी अरब में मौत की सज़ा के आंकड़ों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। अलअख़बार के मुताबिक़ अभी भी सऊदी अरब की जेलों में 40 ऐसी क़ैदी हैं जो मृत्युदंड के इंतेज़ार में हैं।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, जारी वर्ष के दौरान अब तक सऊदी अरब में 56 लोगों को मौत की सज़ा दी जा चुकी है जबकि इस देश की जेलों में क़ैद 40 ऐसे क़ैदी भी हैं कि जिनपर मौत की सज़ा की तलवार लटकी हुई है, इन क़ैदियों में कुछ क़ैदी नाबालिग़ भी हैं। वहीं इससे पहले सऊदी अरब के अधिकारियों ने दुनिया से मृत्युदंड की अपनी नीतियों में सुधार का वादा किया था, लेकिन आले सऊद शासन ने अपनी इस अत्याचारपूर्ण नीतियों में सुधार के नाम पर केवल यह किया है कि वह सामुहिक मृत्युदंड देने से बच रहा है ताकि जनआक्रोश की लहर को रोका जा सके। क्योंकि अलग-अलग दी जाने वाली मौत की सज़ा चुपचाप और अलग-अलग अवधियों के दौरान दे दी जाती है कि जिसपर जल्दी प्रतिक्रियाएं सामने नहीं आती।

सऊदी अधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक़, 5 सितंबर को मुस्लिम अलमोहसिन नामक एक व्यक्ति को इतनी ख़ामोशी और अचानक के फांसी दे दी गई कि उसके परिवार वालों को भी इसकी सूचना नहीं दी गई और मौत की सज़ा दे दी जाने के बाद उसके परिवार वालों को सूचित किया गया। यह ऐसी स्थिति में है कि जब एक महीने पहले ही एक युवा क़ैदी कि जिसका नाम अदनान अश्शुरफ़ा था उसको भी इसी तरह ख़ामोशी के साथ फांसी पर लटका दिया गया था। कुल मिलाकर जारी वर्ष 2021 में अब तक सऊदी अरब में 56 लोगों को मौत की सज़ा दी जा चुकी है जिनमें से सात क़ैदी ऐसे थे कि जिन्हें बिना क़ानूनी प्रक्रिया के केवल काज़ी के आदेश पर ही फांसी पर लटका दिया गया।

मानवाधिकार संगठनों ने पिछले साल सऊदी अरब में नाबालिग़ों और राजनीतिक क़ैदियों को मौत की सज़ा न दिए जाने का आह्वान किया था। इससे पहले, मानवाधिकार संगठन "रिपर्यू" ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ के सऊदी नरेश बनने के बाद से इस देश में दी जाने मौत की सज़ा के मामलों में दो बराबर वृद्धि हुई है। मानवाधिकार संगठन "रिपर्यू" की रिपोर्ट के अनुसार, जबसे सलमान बिन अब्दुल अज़ीद ने आले सऊद शासन की बागडोर संभाली है तब से 800 लोगों को मृत्युदंड दिया जा चुका है। यह ऐसी स्थिति में है कि वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक इस देश में केवल 423 लोगों को मौत की सज़ा दी गई थी। (RZ)

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