May २८, २०२२ १२:५० Asia/Kolkata

इमरान खाान का कहना है कि उन्होंने रक्तपात को रोकने और हिंसा से बचने के उद्देश्य से अपना धरना रोक दिया है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने हिंसा और रक्तपात को रोकने के उद्देश्य से धरने को रोका है।  उन्होंने कहा कि इस संबन्ध में सरकार के साथ किसी भी प्रकार की कोई सौदेबाज़ी नहीं हुई है।

इमरान ख़ान के अनुसार मध्यावधि चुनाव की घोषणा न किये जाने की स्थति में वे अपने समर्थकों के साथ फिर सड़को पर निकल आएंगे।  उन्होंने अपने समर्थकों के साथ सुरक्षा बलों के व्यवहार पर खेद जताते हुए कहा कि भविष्य में इस्लामाबाद में दीर्धकालीन धरना या रैली निकालना उनके लिए कोई कठिन काम नहीं है।  इमरान ख़ान का कहना था कि आयातित सरकार को न तो वे स्वीकार करेंगे और न ही उसके साथ कोई सौदा किया जाएगा।

इंसाफ़ पार्टी के नेता ने जब सरकार विरोधी धरने और प्रदर्शन को रोकने की बात कही तो पाकिस्तान के कुछ संचार माध्यमों ने उनपर मुस्लिम लीग के साथ छिपकर सौदेबाज़ी का आरोप लगाया।  इसके जवाब में इमरान ख़ान का कहना था कि पाकिस्तान के सुरक्षाबलों द्वारा उनके समर्थकों के विरुद्ध हिंसक कार्यवाही करने और अधिक बल के प्रयोग की संभावना के दृष्टिगत उन्होंने प्रदर्शनों को रोकने का फैसला लिया है।  पाकिस्तान की सरकार ने इस देश के सुरक्षाबलों को यह अधिकार दे दिया था कि सार्वजनिक शांति को भंग करने वालों के साथ वे कड़ाई से व्यवहार करें। सरकार का मानना था कि विरोध प्रदर्शनों से देश में हिंसा फैल सकती है।

शायद यही कारण है कि पाकिस्तिान में सड़को पर निकाली जाने वाली रैली के संदर्भ में वहां के उच्च न्यायालय ने देश के सुरक्षा अधिकारियों और पुलिस से मांग की है कि प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध बल प्रयोग से बचा जाए और उनको प्रदर्शन के लिए एक अलग स्थान विशेष किया जाए।  हालांकि पाकिस्तान के कुछ संचार माध्यमों ने इंसाफ़ पार्टी के नेता और शहबाज़ शरीफ की सरकार के बीच किसी गुपचुप समझौते की संभावना ज़ाहिर की है।

इमरान ख़ान आरंभ से भी शहबाज़ शरीफ़ की सरकार को आयातित सरकार कहते आ रहे हैं।  इसीलिए वे पाकिस्तान में मध्यावधि चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे हैं।  पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री का यह मानना है कि उनके विरुद्ध षडयंत्र रचकर उनको सत्ता से बेदखल किया गया है।  इस काम मे विपक्षी दलों ने सहयोग किया जिनको जनसमर्थन हासिल नहीं है।  इस प्रकार नए चुनाव करवाकर इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि मुस्लिम लीग नवाज़ को पाकिस्तान की जनता में कितनी लोकप्रियता हासिल है।

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