Jun १५, २०२४ १३:४९ Asia/Kolkata
  • इतिहास की सही साइड में खड़े होने का मुद्दा और सुप्रीम लीडर का पत्र/ हक़ीक़त ज़िंदाबाद

पार्सटुडे - इतिहास की सही दिशा में खड़ा होना, सबसे महत्वपूर्ण चिंताओं में से एक है जिसका लोगों ने इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर सामना किया है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की ओर से अमेरिकी छात्रों को संबोधित करके लिखे गये प्रेमपूर्ण ख़त ने प्रदर्शनकारी छात्रों के दिलों में उम्मीद की किरणें जगा दी हैं।

ज़ैतून के पेड़ की पत्तियों से बच्चों और औरतों का ख़ून टपकने वाला और लहुलुहान फ़िलिस्तीन, इंसानियत की आंखों के सामने सरापा ज़ुल्म का आईना बन गया है।

पार्सटुडे में आप जो चीज़ पढ़ेंगे, वह इन दिनों इस्लामी क्रांति के नेता द्वारा प्रसिद्ध मुद्दे पर एक नज़र डालना है, यानी "इतिहास की सही दिशा में"।

दुनिया के हर वर्ग, रंग, नस्ल और भाषा के लोग, फ़िलिस्तीन की ओर देख रहे हैं और इंतेज़ार कर रहे हैं कि यह व्यापक क्रूरता और बच्चों की हत्याएं कब ख़त्म होंगी! वे देखना चाहते हैं कि "मानवता" ज़ायोनियों और उनके अत्याचारी समर्थकों के स्पष्ट ज़ुल्म के सामने कब जागेगी है, वे उठ खड़े होना चाहते हैं और चिल्लाना चाहते हैं: "बाल हत्याओं को बंद करो!"।

अपराधी ज़ायोनियों को सम्मानजनक शब्द "मानवता" से कोई वास्ता नहीं है और ग़ज़ा के निर्दोष बच्चों का खून बहाना उनके लिए एक मनोरंजन बन गया है।

 हालांकि यह सारा दर्द, पीड़ा और अजनबियत, पश्चिमी और यूरोपीय शासकों की अंतरात्मा को नहीं जगा सका, इसने दुनिया के लोगों के एक बड़े हिस्से, युवाओं और बूढ़ों, पुरुषों और महिलाओं की अंतरात्मा को तो जगा दिया, इसने उनमें मानवता जगाई और उन्हें यह कहने के लिए सड़कों तक ले आया: "फ़िलिस्तीन को आज़ाद करो", "बच्चों की हत्या को समाप्त करो" और "इस्राईल मुर्दाबाद"।

मशहूर अमेरिकी विश्वविद्यालयों के छात्र, जिन्हें दुनिया भर के मेधावी और प्रतिष्ठित वर्ग द्वारा स्वीकार किया जाता है और कुछ शैक्षिक स्थानों में उनका विशेष स्थान है, इन अपराधों पर चुपचाप नहीं रहे और उन्होंने विरोध आंदोलन शुरु कर दिया। अमेरिकी विश्वविद्यालयों का फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता के लिए होने वाला विरोध प्रदर्शन फ़िलिस्तीनियों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।

ये विरोध प्रदर्शन सबसे पहले अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से शुरू हुआ, जहां इस विश्वविद्यालय के छात्रों और कुछ संकाय सदस्यों ने टेंट लगाकर अपने संबंधित विश्वविद्यालय से इस्राईल के लाभ और हित के लिए निवेश छोड़ने की अपील करने के लिए धरना दिया।

हिंसक पुलिस हस्तक्षेप और कुछ छात्रों और प्रोफेसरों की गिरफ्तारियों के बाद ये विरोध प्रदर्शन, अमेरिका और यहां तक ​​कि 50 से अधिक कुछ अन्य पश्चिमी देशों के विश्वविद्यालयों तक फैल गया।

अमेरिकी छात्रों को संबोधित करते हुए सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई के प्यार भरे पत्र ने प्रदर्शनकारी छात्रों के दिलों में उम्मीद की किरणें जगा दी हैं, विशेषकर जब उन्होंने लिखा:

"संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रिय युवा छात्रों! यह आपके प्रति हमारी सहानुभूति और एकजुटता का संदेश है, अब आप इतिहास की सही दिशा में खड़े हैं, वह इतिहास जिसका पेज पलट रहा है।

इतिहास की सही दिशा पर खड़ा होना, सबसे महत्वपूर्ण चिंताओं में से एक है जिसका सामना इंसानों को इतिहास के दौरान करना पड़ता है। कठिन दौर और समस्याओं का सामना करने पर सही रास्ता चुनना बहुत कठिन होता है लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसी परिस्थितियों में सही और ग़लत के बीच अंतर करने का एक महत्वपूर्ण रास्ता, और जागरूक विवेक और अंतर्रात्मा है।

पश्चिम के उदार लोकतंत्र के शैक्षिक वातावरण में पले-बढ़े और स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे नारे लगातार सुनने वाले इन छात्रों ने जब अपने देशों के शासकों के व्यवहार में इन विषयों का उल्लंघन देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि ये इंसानियत के नारे दिखावे और धोखे से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं।

अमेरिकी और ब्रिटिश सरकारों द्वारा इस्राईली सरकार को सामूहिक विनाश के हथियार और बम भेजने से पश्चिम की भौतिकवादी नीतियों के अंधेरे इंटीरियर और मानवाधिकारों और स्वतंत्रता जैसे अपमानजनक मूल्यों का पता चलता है और यह समझ में आता है कि पश्चिम में उदार लोकतंत्र वर्चस्व के एक साधन और हथकंडे से अधिक कुछ नहीं है।

अयातुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पत्र में लिखा कि अब पश्चिम सभी मीडिया, वित्तीय और यहां तक ​​कि दबावों और ताक़त के ज़रिए सच्चाई को छिपा नहीं सकता है और छात्र आंदोलन की जागरूकता, तेज़ी के साथ आगे बढ़ रही है।

सुप्रीम लीडर के ख़त में एक और महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि आप इस समय हिस्ट्री की बिल्कुल सही साइड में खड़े हैं, एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह था कि उन्होंने पश्चिमी युवाओं और यहां तक ​​कि दुनिया की आम जनता पर ज़ोर दिया कि जब मनुष्य में इंसानियत जागती है और वह मज़लूमों की रक्षा को प्राथमिकता देता है तो वह अपने हित को प्राथमिकता देता है, वह सही और ईश्वर की प्रसन्नता का मार्ग है और वह निश्चित रूप से ईश्वर की कृपा से भरपूर लाभान्वित होगा और फ़ायदा उठाएगा।

अमेरिका में फ़िलिस्तीनी समर्थक छात्रों को सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई के पत्र ने वास्तव में उन्हें उज्ज्वल भविष्य की ख़ुशखबरी दे दी है। यह भविष्य इतिहास का परिवर्तन और भ्रष्ट पश्चिमी नीतियों का पतन और राजनीतिक और इंसानी ज़िंदगी के एक नए अध्याय की शुरुआत है।

कीवर्ड्स: इस्लामी क्रांति के नेता के नेता का पत्र, अयातुल्लाह खामेनेई कौन हैं, दुनिया में छात्रों का विरोध प्रदर्शन, ईरान की इस्लामी क्रांति, फ़िलिस्तीन के लिए ईरान का समर्थन (AK)

 

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