• अल्लाहके ख़ास बन्दे- 61

    अल्लाहके ख़ास बन्दे- 61

    Jan २९, २०१९ १७:०९

    इस्लाम के सच्चे मार्ग दर्शक और अल्लाह के ख़ास बंदों की जीवन शैली बयान करने से हमारा उद्देश्य यह था कि आपको उनके जीवन के उतार- चढ़ाव से परिचित करायें और साथ ही आपको उन शैलियों से अवगत करायें जो उन्होंने अपनाई थीं।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे- 60

    अल्लाह के ख़ास बन्दे- 60

    Jan २९, २०१९ १७:०५

    हमने जामेआ के नाम से मशहूरू ज़ियारत के बारे में चर्चा की थी जिसमें यह बताया गया है कि इमामों का कितना महान स्थान है।

  • अल्लाह केख़ास बन्दे- 59

    अल्लाह केख़ास बन्दे- 59

    Jan २९, २०१९ १६:५३

    इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम का जन्म 15 ज़िलहिज्जा सन 212 हिजरी कमरी में मदीने में हुआ था।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे - 58

    अल्लाह के ख़ास बन्दे - 58

    Jan २९, २०१९ १६:४६

    इस्लाम के सभी मार्गदर्शक कि जिनके बारे में पैग़म्बरे इस्लाम बता चुके थे, सैद्धांतिक व तार्किक नीति के ज़रिए अपने उद्देश्य को हासिल करने की कोशिश करते थे।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे- 56

    अल्लाह के ख़ास बन्दे- 56

    Jan १२, २०१९ १७:१४

    हमने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पावन जीवन के कुछ पहलुओं की समीक्षा और विश्लेषण किया था।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे-55

    अल्लाह के ख़ास बन्दे-55

    Jan १२, २०१९ १६:५९

    जैसाकि आप जानते हैं कि हम पैग़म्बरे इस्लाम (स) के एक पौत्र इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के जीवन पर चर्चा कर रहे थे।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे-54

    अल्लाह के ख़ास बन्दे-54

    Nov १७, २०१८ १७:३१

    हमने कहा था कि इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम दिल से न चाहने के बावजूद मदीना से ख़ुरासान आये और नीशापुर में बहुत अधिक लोगों की उपस्थिति में उन्होंने इस्लाम की मौलिक शिक्षाओं को बयान किया।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे-53

    अल्लाह के ख़ास बन्दे-53

    Oct १६, २०१८ १६:४०

    सन 148 हिजरी क़मरी के ज़ीक़ादा महीने की 11 तारीख़ को आठवें इमाम का जन्म, पवित्र नगर मदीना में हुआ था। 

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे- 52

    अल्लाह के ख़ास बन्दे- 52

    Oct १६, २०१८ १५:५९

    इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने अपने जीवन में राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियां अंजाम देने के अलावा बहुत से शिष्यों का भी प्रशिक्षण किया।

  • अल्लाह के ख़ास बन्दे- 51

    अल्लाह के ख़ास बन्दे- 51

    Oct ०२, २०१८ १५:३५

    इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम और इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के दौर की एक गंभीर चुनौती यह थी कि अब्बासी शासन श्रंख्ला के शासक ख़ुद को पैग़म्बरे इस्लाम के चाचा का संबंधी बताते थे और इसे हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करते हुए ख़ुद को ख़िलाफ़त का वारिस कहते थे। हालांकि ख़िलाफ़त का विरासत से कोई संबंध नहीं है क्योंकि ख़िलाफ़त ईश्वरीय आदेश है और 12 इमाम ही ख़िलाफ़त के योग्य हैं।