Sep २१, २०२३ १९:२२ Asia/Kolkata

हालैण्ड ने एलान कर दिया है कि वह अब यूक्रेन को हथियार नहीं भेजेगा। 

इस देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि अब हम यूक्रेन को कोई भी हथियार नहीं भेजेंगे। 

मांटोज़ मोरावीतस्की ने बताया कि अब हम पौलैण्ड की सेना के आधुनिकीकरण पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे।  उनका कहना था कि हम पोलैण्ड की सेना को बहुत ही कम समय के भीतर यूरोप की एक शक्तिशाली थलसेना के रूप में पेश करना चाहते हैं।  यूक्रेन के विरुद्ध पोलैण्ड नई रणनीति, दोनो देशों के बीच गंभीर तनाव को दर्शाती है।

यूक्रेन युद्ध में अबतक पोलैण्ड ने हथियार देकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  पश्चिम की ओर से यूक्रेन के लिए हथियार और सहायता भेजने का प्रमुख मार्ग भी पोलैण्ड रहा है।  इस बारे में 2023 की जनवरी के अंत में पोलैण्ड के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके बताया था कि यूक्रेन युद्ध के आरंभ से लेकर अबतक यह देश यूक्रेन की तीन अरब यूरो की सहायता कर चुका है।  पोलैण्ड और यूक्रेन के बीच मतभेदों का मुख्य कारण कीव की ओर से यूरोप को निर्यात किया जाने वाला ग़ल्ला है। 

यूक्रेन के वित्त मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की थी कि यूक्रेन के आयात को रूकवाने के कारण उसने विश्व व्यापार संगठन में पोलैण्ड, हंगरी और स्लोवाकिया की शिकायत की है।  इसी बीच विश्व व्यापार संगठन ने मंगलवार को बताया कि यूक्रेन की ओर से इस संगठन के पास शिकायत आई है और वह इस संदर्भ में पोलैण्ड, हंग्री और स्लोवाकिया के साथ विचार-विमर्श करेगा।  उधर यूरोपीय संघ में पौलैण्ड के मंत्री शैमून शेंकोफिस्की ने बुधवार की रात को कहा है कि इस शिकायत से यदि पौलैण्ड का आम जनता इसका विरोध करता है तो हम यूक्रेन की सहायता बंद कर सकते हैं।  तीन देशों पोलैण्ड, हंगरी और स्लोवाकिया ने यूरोपीय संघ के फैसले का विरोध करते हुए यूक्रेन के ग़ल्ले के आयात को अस्थाई रूप से रोकेन के फैसले को बढ़ा दिया है।  यह वह काम है जो संभवतः यूरोपीय संघ के अधिकारियों को नाराज़ कर सकता है। 

इस संघ ने 15 सितंबर को घोषणा की थी कि वह कई पूर्वी यूरोपीय देशों में यूक्रेनी अनाज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को अस्थाई रूप से निलंबित करने की योजना बना रह है।  इसी वर्ष मई के महीने में यूरोपीय संघ ने बुल्गारिया, हंगरी, पोलैण्ड, रोमानिया और स्लोवाकिया में गेहूं, मक्का और सूरजमुखी के बीजों के आयात पर प्रतिबंध लगाने वाले एक क़ानून को मंज़ूरी दी थी ताकि सस्ते यूक्रेनी अनाज से इन दशों के किसानों को नुक़सान होने के जोखिम से बचाया जा सके।  विशेष बात यह है कि विश्व के प्रमुख अनाज आपूर्तिकर्ताओं में से एक यूक्रेन भी है।  जबसे काला सागर अनाज समझौता रद्द हुआ है उस समय से यूक्रेन अपने अनाज के निर्यात के लिए पड़ोसी देशों पर निर्भर है। पोलैण्ड के हालिया फैसल के बाद इस बात की भी संभावना है कि रूस के विरुद्ध यूक्रेन की असीमित सहायता को रोकने की यह भूमिका बन जाए।

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