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क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-764
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-763
फ़ातेमा ग्रैहम का जन्म ब्रिटेन में हुआ। उनके पति भी अब मुसलमान हो चुके हैं और दोनो स्काटलैण्ड में जीवन गुज़ार रहे हैं। यह दोनो वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। फ़ातेमा ग्रैहम का जन्म कैथोलिक इसाई परिवार में हुआ था।
मुसलमान प्रतिदिन पांच बार नमाज़ पढ़ते हैं। दुनिया भर के मुसलमान काबे की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ते हैं जो पवित्र नगर मक्के में है। संसार में जितनी भी मस्जिदें पाई जाती हैं उन सबका रुख़ काबे की ओर होता है।
सूरे बक़रा की आयत संख्या 158 के नाज़िल होने की दास्तान बहुत दिलचस्प और पाठदायक है। इस आयत में सफा और मरवा का उल्लेख है।
इससे पहले की पोस्ट में हमने बताया था कि जब पैग़म्बरे इस्लाम को यह सूचना मिली कि एक बड़ी सेना ने मदीने की ओर कूच किया है तो उन्होंने अंसार के सभी गुटों को एकत्रित करके उनसे युद्ध में भाग लेने के बारे में पूछा।
एक ताज़ा अमरीकी मुसलमान महिला Emily Creek एमिली क्रीक का कहना है कि निश्चित रूप से परिपूर्ण होने के लिए लंबा रास्ता तै करना पड़ता है।
सूरे बक़रा पवित्र क़ुरआन का दूसरा सूरा है। यह क़ुरआन का सबसे बड़ा सूरा है। सूरे बक़रा में कई विषयों के बारे में चर्चा की गई है। इसकी आयत संख्या 89 व 90 का अनुवाद इस प्रकार हैः
इससे पहले हमने बताया कि सूरे बक़रा की आयत संख्या 62 पैग़म्बरे इस्लाम के सहाबी हज़रत सलमान फ़ारसी के बारे में है जिनका पुराना रूज़बे थे।
नई नई मुसलमान होने वाली नार्वे की "मोनिका हैंग्सलेम" इस्लाम के बारे में कहती हैं कि इस्लाम को समझने के बाद मुझे यह पता चला कि दुनिया का कोई भी धर्म औरतों को इतना सम्मान नहीं देता जितना इस्लाम देता है।