Pars Today
हमने तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश के संगठनात्मक ढांचे की व्याख्या की थी और इस बिन्दु की ओर इशारा किया था कि दाइश के मद्देनज़र ख़िलाफ़त में देशों के बीच सीमाओं की अहमियत नहीं है बल्कि इस्लाम के संबंध में उनका दृष्टिकोण दाइश के शासन की सीमा को निर्धारित करता है।
हमने दाइश द्वारा अपने सरग़ना अबू बक्र अलबग़दादी को ख़लीफ़ा मानने के विषय की समीक्षा की थी।
हमने उल्लेख किया था कि दाइश ख़ुद को अंतिम काल में मानवता को मुक्ति दिलाने वाला गुट मानता है।
हमने दाइश की विचारधारा के आधार के बारे में चर्चा की थी।
इससे पहले हमने शुद्ध इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार ईमान तथा कुफ़्र की परिभाषा के बारे में आपको बताया।
हमने सलफ़ियों या तकफ़ीरियों की दृष्टि से एकेश्वरवाद और अनेकेश्वरवाद जैसे विषयों पर चर्चा की थी।
हमने कहा था कि सलफ़ी बुद्धि को आधार मानने की बात को नकार कर पैग़म्बरे इस्लाम के सभी सहाबियों तथा उनके बाद तीन शताब्दियों तक सहाबियों से ज्ञान अर्जित करने वालों और फिर उन लोगों से ज्ञान अर्जित करने वालों को पापों से पवित्र और धार्मिक आदेशों के निर्धारण का आधार मानते हैं।
सलफ़ियों का एक मूल सिद्धांत आयतों और रिवायतों के समझने में बुद्धि की भूमिका को रद्द करना है।
इससे पहले के कार्यक्रमों में यह बताया गया कि तकफ़ीरी आतंकी गुट विशेष कर दाइश किस प्रकार अस्तित्व में आया।
लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के प्रमुख ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि आज इस्लामी जगत को चरमपंथ नामक ख़तरनाक समस्या का सामना है, कहा है कि हमें उन लोगों का मुक़ाबला करना चाहिए जो इस्लामी मतों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं।