May ०३, २०२२ १२:०८ Asia/Kolkata

ईरान, इराक़ भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका सहित दुनिया के बहुत से देशों में आज ईदुल फ़ित्र मनाई जा रही है जबकि सऊदी अरब, तुर्की, मिस्र, क़तर, कुवैत, सीरिया, फ़िलिस्तीन और अफ़ग़ानिस्तान में सोमवार को ईदुल फ़ित्र मनाई गयी।

ईदे फ़ित्र के मुबारक पर्व पर ईरान भर में एकेश्वरवादी मोमिन जनता ने एक महीने के रोज़े रखने और ईश्वर की उपासना में यह पूरा समय बिताने के बाद बड़े भव्य रूप से ईद की नमाज़ अदा की और ईश्वर का आभार व्यक्त किया।

नमाज़े ईदुल फ़ित्र का सबसे भव्य समारोह तेहरान विश्व विद्यालय में में आयोजित हुआ जहां आयतुल्लाह सिद्दीक़ी की इमामत में नमाज़े ईद अदा की गई। नमाज़ में लाखों की संख्या में लोगों ने भाग लिया जबकि देश के वरिष्ठ अधिकारियों और अनेक देशों के प्रतिनिधी भी ईद की नमाज़ में शामिल हुए।

 

आयतुल्लाह सिद्दीक़ी ने ईदुल फ़ित्र के भाषण में ईरानियों और दुनियाभर के मुसलमानों को ईद की बधाई देते हुए कहा कि देश की आंतरिक स्थिति और दुनियाभर के मुसलमानों की स्थिति पर रोशनी डाली। आयतुल्लाह काज़िम सिद्दीक़ी ने विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियों में उपस्थिति पर मुसलमानों और प्रतिरोध के मोर्चे को बधाई दी और कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस के दिन सारा ईरान और सारे मुस्लिम देश मैदान में आए और कोरोना के दो साल के बाद उन्होंने यह साबित कर दिया कि कोई भी मुद्दा फ़िलिस्तीन को फीका नहीं कर सकता, बैतुल मुक़द्दस और फ़िलिस्तीन ज़िंदा है और मुस्लमान फ़िलिस्तीन के भरपूर समर्थक हैं।

 

उनका कहना था कि फ़िलिस्तीनी युवा अपनी जान हाथों में लिए हुए हैं और अपने ख़ून से इस्राईल का जीना दूभर कर दिया है। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे की ओर इशारा करते हुए कहा कि पवित्र रमज़ान के महीने में मज़लूम अफ़ग़ान जनता ने विभिन्न शहरों में अमरीका और इस्राईल के पिट्ठुओं की दुश्मनियां देखीं और मस्जिदों और इमामबारगाहों को मुस्लिम रोज़ेदारों के ख़ून से रंग दिया गया।  

 

उधर इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों के नाम संदेश में ईद की बधाई दी। राष्ट्रपति के कार्यालय की ओर से जारी होने वाले बयान के अनुसार राषट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने सारी दुनिया के मुस्लिम राष्ट्राधक्ष्यों को ईदुल फ़ित्र की बधाई दी और उम्मीद की कि इस ईद की बरकत से इस्लामी जगत में धार्मिक आकाक्षाओं को मज़बूत करने की दिशा में एकता और भाईचारा मज़बूत होगा तथा आपसी मतभेद और झड़पें ख़त्म होंगी और पूरी दुनिया में न्याय और शांति की स्थापना होगी।

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के संसद सभापति ने भी ईदुल फ़ित्र के मौक़े पर दुनिया के मुसलमानों को बधाई दी। संसद सभापति के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वर्तमान समय में क़ुरआन और इस्लाम की उच्च शिक्षाओं पर अमल करते हुए इस्लामी एकता और भाईचारे को मज़बूत किया जा सकता है और मुसलमानों के कल्याण के लिए काम किया जा सकता है।

संसद सभापति ने आशा व्यक्त की है कि मुस्लिम देशों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की समझदारी, मार्ददर्शन और समझबूझ से पहले से ज़्यादा भाईचार मज़बूत होगा और व्यापक स्तर पर सहयोग बढ़ाने तथा शांति और स्थिरता की स्थापना में मदद मिलेगी।

ईद का दिन मुसलमानों के लिए खुशी का दिन है। यह खुशी, एक महीने तक लगातार रोज़े रखने और ईश्वर को उसका आभार व्यक्त करने के कारण है। ईद की नमाज़ को मुसलमानों की एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

ईद और रमज़ान के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के नाती इमाम हसन अलैहिस्सलाम का कहना है कि ईश्वर ने रमज़ान के महीने को अपने बंदों के बीच प्रतिस्पर्धा का मैदान बनाया है ताकि वे ईश्वर के आदेशों का पालन करते हुए उसकी प्रसन्नता प्राप्त कर सकें। रमज़ान के दौरान ईश्वर के आदेशों का पालन करने वालों को ईद के दिन पुरस्कृत किया जाता है और अवहेलना करने वालों को क्षति उठानी पड़ती है।

 

ईदे फ़ित्र एसे लोगों का जश्न है जिन्होंने बंदगी का पहला चरण सफलता के साथ पूरा कर लिया है और उन्हें आशा है कि रमज़ान के महीने में उन्होंने जो आध्यात्मिक पूंजी एकत्रित की है वह बंदगी के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए ईश्वर का सामिप्य प्राप्त करने में मदद करेगी। ईदुल फ़ित्र उन बंदों की ईद है जिन्होंने रमज़ान के पवित्र महीने में अपने संघर्ष और सहनशीलता से अपनी आत्मा को विदित और निहित प्रदूषणों से पवित्र किया और फिर सत्य के प्रकाश की ओर चल पड़े हैं।

ईदे फ़ित्र के दिन मानो उनका नया जन्म हुआ है। एक महीने के अभ्यास के बाद रोज़ादार की आंखें अब लक्ष्यहीन होकर ईधर उधर भटक नहीं रही हैं बल्कि उसके आंखों की ज्योति सत्य के दर्शन और उसकी पहचान का माध्यम बन गई है। उसके कान अब हर आवाज़ पर केन्द्रित होने के बजाए केवल सत्य सुनने के लिए तैयार हैं। उसकी ज़बान ने निर्रथक बातें बिल्कुल बंद कर दी हैं और सत्य के अलावा उससे कुछ और नहीं निकल रहा है। वास्तव में उन्होंने एक महीना इबादत में बसर करने के बाद अपनी क्षमताओं को समझा है तथा महान लक्ष्यों की ओर अग्रसर हो गए हैं। (AK)

 

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