Dec १६, २०२१ १२:२८ Asia/Kolkata
  • रियाज़ में अरब देशों का शिखर सम्मेलन, ग़ायब रहे या कर दिए गए किंग सलमान? क्या मुहम्मद बिन सलमान ख़ादिमे हरमैन बनने जा रहे हैं? अरब टीकाकार अतवान का जायज़ा

फ़ार्स खाड़ी सहयोग परिषद की 42वीं शिखर बैठक इस बात के लिए याद रखी जाएगी कि यह परिषद के इतिहास की सबसे संक्षिप्त बैठक साबित हुई। इसका उद्घाटन सेशन ही समापन सेशन भी बन गया और सारा कार्यक्रम एक घंटे के अंदर अंदर सिमट गया।

तीन भाषण हुए और उसके बाद सब रियाज़ एयरपोर्ट पर खड़े अपने अपने विमानों की ओर रवाना हो गए जिनके इंजन भी अभी ठंडे नहीं हुए थे मानो इन प्रतिनिधिमंडलों ने इस शिखर बैठक में भाग लेकर कोई पाप कर दिया है।

किंग सलमान का इस बैठक से ग़ायब रहना या कर दिया जाना ध्यान योग्य पहलू था लगभग सात साल पहले उन्होंने सिंहासन संभाला है उसके बाद से यह अब तक की अपूर्व घटना है। इस बारे में न तो मेहमानों को कुछ सफ़ाई दी गई और न ही सऊदी अरब की जनता को।

सरगोशियां हैं सऊदी किंग बहुत बीमार हैं लाल सगर के तट पर नियोम सिटी में आराम कर रहे हैं। जबकि क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान कभी भी अपने किंग होने का एलान करने की तैयारी में व्यस्त हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने फ़ार्स खाड़ी के पांच देशों का दौरा किया जो इन देशों में ख़ुद को सऊदी अरब के नरेश के रूप में स्थापित करने का कार्यक्रम था।

सऊदी अरब के वह सारे राजकुमार जो बैअत करके देश के किंग के पद पर मुहर लगाते हैं इस समय जेलों बंद हैं या अपने महलों में नज़रबंद कर दिए गए हैं।

मुहम्मद बिन सलमान ने सात साल के दौरान जो नीतियां अपनाई हैं उनसे सऊदी अरब के भीतर और बाहर हर जगह उनके दुश्मनों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। उन्होंने सऊदी नागरिकों से सुविधापूर्ण जीवन के जो भी वादे किए थे वह नाच गानों के प्रोग्रामों और दूसरे कार्यक्रमों में कहीं गुम हो गए जिनका नाम लेना शायद अभद्र लगेगा।

जार्डन से सऊदी अरब के संबंध ख़राब हो चुके हैं, मिस्र से तनाव है, इमारात से संबंधों पर बर्फ़ जम गई है, क़तर से बहुत मामूली संबंध हैं, अलजीरिया से रिश्तों में गर्मजोशी ख़त्म हो गई है, सीरिया से भी संबंध अच्छे नहीं हैं और लेबनान और फ़िलिस्तीन से तो लगभग संपर्क टूटा हुआ है। यह सऊदी अरब की क्या हालत हो गई है?! हमने इस देश को कभी इस हालत में नहीं देखा था।

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने आज तक अपने रणनैतिक घटक सऊदी अरब को फ़ोन नहीं किया बल्कि वहां तैनात पेट्रियट और थाड मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम भी निकाल लिए जिसके बाद यमन के ड्रोन और मिसाइल हमलों के सामने सऊदी अरब बेबस नज़र आ रहा है।

यमन की जंग में कूद पड़ना मुहम्मद बिन सलमान का सबसे बड़ा कारनामा है। अब वह ईरान से सुलह करने के लिए कभी बग़दाद, कभी दमिश्क़ और कभी मसक़त में वार्ता कर रहे हैं क्योंकि इस जंग ने सऊदी अरब को थका मारा है और उसके सैकड़ों अरब डालर स्वाहा हो गए हैं। यह जंग दो ही हालतों में रुक सकती है। या तो सऊदी अरब में नया नेतृत्व आए जिसके हाथ यमनी जनता के ख़ूंन से रंगीन न हों, या फिर यमन अपने इलाक़ों जीज़ान, नजरान और असीर को आज़ाद करा ले जिस पर सऊदी अरब ने क़ब्ज़ा कर रखा है।

यहां एक सवाल और है कि मुहम्मद बिन सलमान क्या ख़ादिमुल हरमैन का लक़ब प्राप्त करेंगे जो सऊदी नरेश को प्राप्त होता है या यह पदवी अब ख़त्म ही कर दी जाएगी? इसका जवाब आने वाले दिनों और हफ़्तों में मिलेगा।

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